इन प्रश्नों का उत्तर यदि हां में दिया जाए तो देना गलत नहीं होगा क्योंकि चिकित्सा संस्थान लंबे समय तक अध्ययन करने के बाद इस निष्कर्ष पर पहुंचे हैं कि बढ़ती उम्र के साथ महिला के शरीर में अंडों की मात्रा कम होती जाती है, जिसके चलते उनकी गुणवत्ता में भी कमी आने लगती है तथा इसके अलावा अधिक वज़न वाली महिलाओं में मधुमेह, हृदय रोग, उच्च रक्तचाप और कैंसर जैसी बीमारियां होने की संभावना अधिक होती है और गर्भावस्था के दौरान वज़नदार महिलाओं को सामान्य महिलाओं की तुलना में तीन गुना अधिक मुश्किलों का सामना करना पड़ता है। आइये अब इस पर विस्तार से बात करते हैं।
यहां आपको एक बात बता दें, अधिक वज़न को इन्फर्टिलिटी का मुख्य कारण तो नहीं कहा जा सकता, लेकिन ये इसके प्रमुख कारणों में से एक जरूर माना जाता है। विशेषज्ञों के अनुसार स्वास्थ्य, उम्र, बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) और वजन के सही तालमेल से ही एक गर्भधारण को सफल माना जाता है। इसके अलावा अधिक वज़न कई तरह से।
गर्भधारण को प्रभावित कर सकता है जो कि निम्नलिखित है :-
1. अधिक वज़न से ओव्यूलेशन, हार्मोन, अंडों की गुणवत्ता एवं अंडे के निर्माण की प्रक्रिया इत्यादि पर असर पड़ता है, जिस कारण गर्भधारण की संभावना कम हो जाती हैं।
2. अधिक वज़न के कारण महिलाओं के शरीर में एंड्रोजन, इंसुलिन जैसे हार्मोंस का अत्यधिक निर्माण होने का खतरा बना रहता है।
3. कई बार कम वज़नदार महिलाओं के गर्भधारण में भी विभिन्न कई प्रकार की समस्याएं आ जाती हैं, उनमें प्रीटर्म बर्थ का खतरा बना रहने की आशंका होती है। जिससे बच्चे को एनिमिया या कुछ अन्य प्रकार की समस्याएं भी हो सकती हैं।
अतः आप बॉडी मास इंडेक्स (बीएमआई) के ज़रिए यह पता कर सकते हैं कि आपका वजन सामान्य है या अधिक है। यदि आपकी लंबाई 155 सेमी है तो आपका वजन 55 किलो होना चाहिए तथा इसके अलावा 25 या इससे अधिक की बीएमआई को अत्याधिक वज़न माना जाता है।
अधिक जानकारी के लिए यहाँ पड़े - IVF ट्रीटमेंट का अर्थ एवं इसकी प्रक्रिया
IVF में एक महिला की उम्र बेहद मायने रखती है क्योंकि जैसे-जैसे एक महिला की उम्र बढ़ने लगती है वैसे-वैसे उसकी गर्भधारण करने में मुश्किलें बढ़ती जाती है । आइये उम्र से जुड़े कुछ प्रमुख बिंदु एवं आँकड़ों पर नज़र डालते हैं।
1. जब एक महिला 20 वर्ष की होती है तो एक मासिक साइकिल के दौरान उसके गर्भधारण की संभावना अधिक रहती है। 40 वर्ष से 45 तक आते-आते इसकी संभावना बिना किसी उपचार के न के बराबर रह जाती है।
2. एक और शोध हमें बताता है कि गर्भधारण के लिए सबसे बेहतर आयु 30 से 31 वर्ष मानी जाती है। उसके बाद प्रेगनेंसी के चान्सेस कम होने का प्रतिशत बढ़ने लगता है।
यदि आप एक स्वस्थ बच्चे को जन्म देना चाहते है तो उसके लिए सबसे ज़्यादा ज़रूरी यह है कि अण्डे की क्वालिटी अच्छी होनी चाहिए। यदि एक महिला की उम्र ज़्यादा हो जाती है तो अण्डों की गणुवत्ता प्रभावित होती है तथा इसके अलावा अधिक उम्र की महिलाओं में यूटेराइन फाईब्रोइड्स, एण्डोमेट्रियोसिस जैसी बीमारियां होने का खतरा भी बना रहता है तथा जो फर्टिलिटी को प्रभावित कर सकती है।
अतः एक महिला को सही समय पर गर्भवती होना चाहिए ताकि IVF प्रक्रिया को सफलतापूर्वक सम्पन्न किया जा सके।
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